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Prabhasakshi Vichar Sangam| हिंदी के जरिए देश को मिल सकती है नई पहचान- राम निवास गोयल

Prabhasakshi Vichar Sangam| हिंदी के जरिए देश को मिल सकती है नई पहचान- राम निवास गोयल

Prabha Sakshi

हाल ही में न्यूजीलैंड यात्रा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग अब भी वहां अपनी प्राचीन भाषा मोरे में ही बात की है। उन्होंने अपनी पुरानी भाषा पर पकड़ बनाए रखी और उसे छोड़ा नहीं। ऐसे ही स्थिति होनी चाहिए।

भारत के प्रमुख हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी.कॉम की 23वीं वर्षगाँठ पर नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ‘विचार संगम’ कार्यक्रम के आयोजन में  राम निवास गोयल ने भी शिरकत की है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के बिना विश्व के पटल पर उपलब्ध होना संभव नहीं है मगर हमें अपनी ही भाषा का उपयोग करना चाहिए।

हाल ही में न्यूजीलैंड यात्रा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग अब भी वहां अपनी प्राचीन भाषा मोरे में ही बात की है। उन्होंने अपनी पुरानी भाषा पर पकड़ बनाए रखी और उसे छोड़ा नहीं। ऐसे ही स्थिति होनी चाहिए।

हिंदी भारत की और हमारी जन्मजात भाषा है। हिंदी भीषा समर्थ है। धीरे धीरे हम अपने हिंदी साहित्य से दूर हो गए है मगर अब इसे आगे लागे का प्रयास करना चाहिए। इन प्रयासों के लिए प्रभासाक्षी की टीम को शुभकामनाएं।

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