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अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि हमें (ईसीआई के फैसले में) कोई अवैधता नहीं मिली।’ जनहित याचिका में यह भी दावा किया गया था कि मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने से हतोत्साहित होंगे क्योंकि मतदान केंद्रों पर फोन जमा करने की व्यवस्था नहीं की गई है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में मतदान केंद्रों पर मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के भारत निर्वाचन आयोग के फैसले में कोई अवैधता नहीं है। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदान केंद्रों पर मोबाइल फोन पर प्रतिबंध के खिलाफ शहर की वकील उजाला यादव की जनहित याचिका खारिज कर दी। जनहित याचिका में उच्च न्यायालय से ईसीआई और राज्य चुनाव आयोग को मतदाताओं को फोन ले जाने और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए डिजीलॉकर ऐप के माध्यम से अपना पहचान प्रमाण दिखाने की अनुमति देने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था।
पीठ ने कहा कि ईसीआई के पास चुनाव प्रक्रिया के सुचारू संचालन के लिए कोई भी उपाय करने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि चुनाव कराने की प्रक्रिया वैसे भी एक बोझिल प्रक्रिया है। और इसमें आप (याचिकाकर्ता) कह रहे हैं कि दस्तावेज़ डिजिलॉकर में दिखाएं। पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को सत्यापन के लिए अपने दस्तावेज डिजिटल लॉकर के माध्यम से अपने फोन पर दिखाने का कोई अधिकार नहीं है।
अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि हमें (ईसीआई के फैसले में) कोई अवैधता नहीं मिली।’ जनहित याचिका में यह भी दावा किया गया था कि मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने से हतोत्साहित होंगे क्योंकि मतदान केंद्रों पर फोन जमा करने की व्यवस्था नहीं की गई है।
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