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दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया, जो दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 से जुड़ी अनियमितताओं के एक मामले में आरोपी हैं। केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की और तर्क दिया कि विशेष अदालत ने उनके अभियोजन के लिए किसी मंजूरी के अभाव में आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था क्योंकि जब कथित अपराध किया गया था तब वह एक लोक सेवक थे।
हाई कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी किया, जिसमें मंजूरी की कमी का हवाला देते हुए उत्पाद शुल्क नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय की अभियोजन शिकायतों पर संज्ञान लेने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। HC ने विस्तृत सुनवाई के लिए 20 दिसंबर 2024 की तारीख तय की है। हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया, जो दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 से जुड़ी अनियमितताओं के एक मामले में आरोपी हैं। केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की और तर्क दिया कि विशेष अदालत ने उनके अभियोजन के लिए किसी मंजूरी के अभाव में आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था क्योंकि जब कथित अपराध किया गया था तब वह एक लोक सेवक थे।
हालांकि, ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी मिल गई है और वह एक हलफनामा दाखिल करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी, वहीं शीर्ष अदालत ने उन्हें 13 सितंबर को सीबीआई मामले में जमानत पर रिहा कर दिया था। 12 नवंबर को उच्च न्यायालय ने केजरीवाल द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर ईडी से जवाब मांगा, जिन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एजेंसी की शिकायत पर उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने आपराधिक मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत तक इसे खत्म कर दिया।
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